अभी धुप ज़मी पर, बिखरती हर जगह है यहाँ !!
अपनी हद से, अभी छुटा नहीं है शहर
कुछ इंसानों ही की भीड़ अभी दिखती है यहाँ !!
एक दुसरे को पहचानते हैं लोग, जो घरों में रहते हैं
अभी ज़िंदा है, के रिश्तों की मौत हुई नहीं है यहाँ !!
ये शहर मेरा अपना है, मेरे निशाँ हैं यहाँ
इसकी मिट्टी-मिट्टी से पूछो के मेरा माज़ी भी कितना जवाँ है यहाँ !!
@anand