किसी का दिल जो चाहे, तो अपनी सूरत बदल कर देखो !
क्या नहीं रोता है दिल किसी का, कभी उसकी हँसी मैं हँस कर देखो !!
अपने जिस्म को छोड़ो, उसके शरीर मैं जा कर देखो !
क्या नहीं होतें हैं लोग दुश्मन किसी के, कभी उसको दोस्त बना कर देखो !!
जो कभी घबराओ अपने साए से भी, दो घड़ी उसके पहलू मैं बिताकर देखो !
क्या नहीं होता हैं तन्हा कोई जग मैं , कभी महफिलों मैं बेमन भी जा कर देखो !!
-anand
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